जन्म - संत लिखमिदास जी का जन्म विक्रम संवत् 1807 आषाढ सुदी 15 (पूर्णिमा) 8 जुलाई 1750 को समुदास जी सोलंकी के घर श्रीमति नत्थी देवी के कोख में हुआ।
आपका जन्म स्थान:-
जन्म स्थान:- राजस्थान के नागौर जिले में चैनार गांव में बड़की बस्ती है और धाम नागौर से 6 किलोमीटर दूर अमरपुरा नामक गांव मे है। जो राष्ट्रीय राजमार्ग 65 पर स्थित है।
बाल्यकाल और भक्ति:- आप बाल्यकाल में ही ईष्वर की अराधना में लीन रहने लगे थे और रामदेव जी भक्ति करते थे। आपके गुरू खिंयारामजी राजपूत थे।
विवाह:-
आपका विवाह परसरामजी टाक की पुत्री श्रीमति चैनी के साथ हुआ। आपके दो पुत्र और एक पुत्री थी बड़े पुत्र का नाम जगरामजी तथा छोटे पुत्र का नाम गेनदासजी तथा पुत्री का नाम बदिगेना था।
धाम:- लिखमिदासजी महाराज की प्रधान धाम अमरपुरा गुरूद्वारा है, अन्य धामें देह, गुडला, ताऊसर, गोंआ आदि स्थान पर है आपके मंदिर शिवगंज, अहमदाबाद, मेड़माड़वास आदि स्थानों पर है।
पर्चे और भजन:-
लिखमिदास जी महाराज ने सैकड़ों पर्चें दिये है और हजारों भजन तथा दोहों की रचना की है। आपके कुछ पर्चें निम्न प्रकार है। घोड़े से पैदल हाथ नही आना, अमरपुरा, को खाली करना, महाराज भीमसिंह जी को चारभुजा के दर्शन देना, हाकम द्वारा क्षमा माॅगकर आपको छोड़ना, बाड़ी में सिचाई करना, जैसलमेर में लड़के को जीवित करना, भगवान द्वारा खेत की कड़ब काटना, एक समय में दो गांवो में जागरण देना, जीवित समाधि की पूर्व में सूचना देना समाधि वाली वस्तुएॅ अहमदाबाद के मूल्ला का
समाधि:-
लिखमिदास जी महाराज ने विक्रम संवत् 1887 आसोज बदी 6 (षष्टमी) 08 सितम्बर 1830 को ग्राम अमरपुरा जीवित समाधि ली। वर्तमान में आपकी धाम के महंत जीतुराम जी महाराज है। आपकी जयंती पूरे भारत वर्ष में मनाई जाती है।
जन्म स्थान:- राजस्थान के नागौर जिले में चैनार गांव में बड़की बस्ती है और धाम नागौर से 6 किलोमीटर दूर अमरपुरा नामक गांव मे है। जो राष्ट्रीय राजमार्ग 65 पर स्थित है।
बाल्यकाल और भक्ति:- आप बाल्यकाल में ही ईष्वर की अराधना में लीन रहने लगे थे और रामदेव जी भक्ति करते थे। आपके गुरू खिंयारामजी राजपूत थे।
विवाह:-
आपका विवाह परसरामजी टाक की पुत्री श्रीमति चैनी के साथ हुआ। आपके दो पुत्र और एक पुत्री थी बड़े पुत्र का नाम जगरामजी तथा छोटे पुत्र का नाम गेनदासजी तथा पुत्री का नाम बदिगेना था।
धाम:- लिखमिदासजी महाराज की प्रधान धाम अमरपुरा गुरूद्वारा है, अन्य धामें देह, गुडला, ताऊसर, गोंआ आदि स्थान पर है आपके मंदिर शिवगंज, अहमदाबाद, मेड़माड़वास आदि स्थानों पर है।
पर्चे और भजन:-
Likhami Das G |
समाधि:-
लिखमिदास जी महाराज ने विक्रम संवत् 1887 आसोज बदी 6 (षष्टमी) 08 सितम्बर 1830 को ग्राम अमरपुरा जीवित समाधि ली। वर्तमान में आपकी धाम के महंत जीतुराम जी महाराज है। आपकी जयंती पूरे भारत वर्ष में मनाई जाती है।
good
ReplyDeleteसंत लिखमीदास जी को नमन।
ReplyDeleteसंत शिरोमणि को कोटि कोटि नमन
ReplyDeleteLuna ram ji Solanki h mehn
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